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 मेवात जिला: हरियाणा का एक विशेष ज़िला मेवात जिला हरियाणा राज्य के मेवात क्षेत्र में स्थित है, और यह ज़िला अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। मेवात क्षेत्र का नाम सुनते ही हमारे दिमाग़ में गाँवों की चित्रित छायाचित्र आती है, जो हरियाणा की धरोहर का हिस्सा हैं। इस लेख में, हम मेवात जिले के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को छूने वाले महत्वपूर्ण घटकों को समझेंगे, और इसकी सांस्कृतिक धरोहर को विचार करेंगे। **मेवात जिले का स्थापना समय:** मेवात जिला हरियाणा राज्य का एक प्रमुख जिला है, और यह समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर और प्राचीन संस्कृति के लिए मशहूर है। इसका स्थापना समय 2005 में किया गया था, जब यह हरियाणा राज्य के 20वें और सबसे नए जिले के रूप में आया। हालांकि यह जिला नया हो सकता है, लेकिन इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व काफी पुराना है। **मेवात क्षेत्र का भौगोलिक चित्र:** मेवात जिला हरियाणा राज्य के सबसे दक्षिणी हिस्से में स्थित है। यह ज़िला गुरुग्राम, फरीदाबाद, और पलवल क्षेत्रों से सम्बंधित है और यमुना नदी के किनारे फैला हुआ है। मेवात क्षेत्र ...

Important questions.

 1. ' बारहमासा ' की रचना किसने की थी  ? Ans -  मलिक मोहम्मद जायसी 2. शेरशाह का मकबरा कहां है ? Ans -  सासाराम 3. किस सुल्तान ने ' बाजार सुधार ' प्रणाली लागू किया था ? Ans -  अलाउदीन खिलजी 4. अशोक ने अपने पुत्र महेन्द्र व पुत्री संघमित्रा को कहां भेजा था ? Ans - श्रीलंका 5. कौन-सा मौर्य सम्राट जैन धर्म ग्रहण करके श्रवण बेलगोला चला गया ? Ans - चन्द्रगुप्त मौर्य 6. अंतिम मौर्य सम्राट कौन था ? Ans - बृहद्रथ 7. महाभाष्य के लेखक कौन थे ? Ans - पंतजलि 8. सांची के स्तूप का निर्माण किसने कराया था ? Ans - अशोक ने 9. कनिष्क किस वंश का शासक था ? Ans - कुषाणवंश का 10. कनिष्क की राजधानी कहां थी ? Ans - पुरूषपुर 11. भारत में सबसे पहले सूर्य किस राज्य में निकलता है ? Ans - अरुणाचल प्रदेश 12. भारत का सर्वोच सम्मान कौन सा है ? Ans - भारत रत्न 13. मेगास्थनीज ने किसके दूत के रूप चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था ? Ans - सेल्यूकस 14. मुद्रा राक्षस के लेखक कौन थे ? Ans - विशाखदत्त 15. ' पृथ्वीराज रासो ' के लेखक कौन हैं ? Ans - चंदबरदाई

बौद्ध संगीतियांः स्थान, अध्यक्ष, शासनकाल📚

 📚बौद्ध संगीतियांः स्थान, अध्यक्ष, शासनकाल📚 ══━━━━━━━✧❂✧━━━━━━━══ “प्रथम बौद्ध संगीति” ◎ स्थान ➛ राजगृह (सप्तपर्णी गुफा) ◎ समय ➛ 483 ई.पू. ◎ अध्यक्ष ➛ महाकस्सप ◎ शासनकाल ➛ अजातशत्रु (हर्यक वंश) के काल में । ◎ उद्देश्य ➛ बुद्ध के उपदेशों को दो पिटकों विनय पिटक तथा सुत्त पिटक में संकलित किया गया। द्तीय बौद्ध संगीति ◎ स्थान ➛ वैशाली ◎ समय ➛ 383 ई.पू. ◎ अध्यक्ष ➛ साबकमीर (सर्वकामनी) ◎ शासनकाल ➛ कालाशोक (शिशुनाग वंश) के शासनकाल में। ◎ उद्देश्य ➛ अनुशासन को लेकर मतभेद के समाधान के लिए बौद्ध धर्म स्थापित एवं महासांघिक दो भागों में बँट गया। “तृतीय बौद्ध संगीति” ◎ स्थान ➛ पाटलिपुत्र ◎ समय ➛ 251 ई.पू. ◎ अध्यक्ष ➛ मोग्गलिपुत्ततिस्स ◎ शासनकाल ➛ अशोक (मौर्यवंश) के काल में। ◎ उद्देश्य ➛ संघ भेद के विरुद्ध कठोर नियमों का प्रतिपादन करके बौद्ध धर्म को स्थायित्व प्रदान करने का प्रयत्न किया गया। धर्म ग्रन्थों का अंतिम रूप से सम्पादन किया गया तथा तीसरा पिटक अभिधम्मपि...

समाचार -पत्र व सम्पादक :

  1) सोमप्रकाश - ईश्वरचंद्र विद्यासागर। 2) इंडिपेन्डेंस - मोतीलाल नेहरू। 3) डॉन - मोहम्मद अली जिन्ना। 4) प्रताप - गणेश शंकर विद्यार्थी। 5) हिन्दू पेट्रियाट - हरिशचंद्र मुखर्जी। 6) हिन्दोस्तान - राजा रामपाल सिंह , छोटूलाल मिश्र , दुर्गा प्रसाद। 7) बम्बई दर्पण - बालशास्त्री जाम्बेकर (मराठी पत्रिका के पितामह) 8) न्यू इंडिया - एनी बिसेंट। 9) बहिष्कृत भारत , मूकनायक - बी आर अम्बेडकर। 10) कॉमन वील - एनी बिसेंट। 11) सोशलिस्ट - श्रीपाद अमृत डांगे। 12) रास्त गोफ्तार - दादा भाई नौरोजी। 13) इंडियन सोशल रिफॉर्मर - के एन नटराजन। 14) सत्यप्रकाश - करसनदास मूलजी। 15) लीडर - मदनमोहन मालवीय। 16) जामेजमशेद - पी एम मोतीवाला। 17) बंगाल गजट - गंगाधर भट्टाचार्य। 18) बॉम्बे क्रॉनिकल - फिरोजशाह मेहता , बी जी हार्निमन। 19) इंडिया - सुब्रमन्यम भारती। 20) सर्च लाइट .- सच्चिदानंद सिन्हा। 21) द पीपुल - लाला लाजपत। 22) अमृत बाजार पत्रिका - मोतीलाल घोष , तुषार घोष , शिशिर कुमार घोष। 23) हिन्दुस्तान टाइम्स - के एस पन्निकर। 24) कामरेड , हमदर्द - मो.अली जिन्ना। 25) हिन्दू पैट्रियाट - हरिशचंद्र मुखर्जी। 26)...

{मध्यकालीन इतिहास ग्रंथ और लेखक }

 तारीख ए हिंद :- अलबरूनी  ताजुल मआसिर :- हसन निजामी  तबकात ए नासिरी :- मिन्हाज उस सिराज। 🔳तारीख ए फिरोजशाही :- जियाउद्दीन बरनी। 🔳तारीख ए फिरोजशाही :- शम्स शिराज अफीफ। 🔳फुतुहात ए फिरोजशाही :- फिरोजशाह तुगलक। 🔳किताब उल रेहला :- इब्नबतूता। 🔳तारीख ए सलातीन ए अफगाना :- अहमद यादगार। 🔳मुखजान-ए - अफगानी :- निमायत उल्ला। 🔳तारीख ए शेरशाही :- अब्बास खां शरवानी। 🔳पदमावत :- मलिक मुहम्मद जायसी। 🔳तारीख ए गुजरात :- मीर अबु तुरावबली।‌ किताब उल खराज :- अबू यूसुफ याकूब। 🔳तारीख ए सिंध :- मीर मुहम्मद मासूम। 🔳तारीख ए रशीदी :- मिर्ज़ा हैदर दोगलात। 🔳रियाज। उस सलातीन :- गुलाम हुसैन सलीम। 🔳बाक्यात ए मुश्ताकी : - शेख रिजकुल्लाह मुश्ताकी। 🔳मलफुजात ए तैमूरी :-अबु तालिब हुसैनी ‌। 🔳सीरत ए आर्मदी :-अली मुहम्मद खां। 🔳तारीख ए हिंदूस्तान :- जकाउल्ला। 🔳तजकीरात उल वाक्यात:- जौहर आफताबची। 🔳फवायद उल फवाद :-अमीर हसन आला सिज्जी 🔳 जैनुल अखबार :- अबु सईद। 🔳आइन ए अकबरी :- अबुल फ़ज़ल। 🔳फुतुह अल बुल्दान :- बिलादुरी। 🔳किताब उल यामिनी :- उत्बी। 🔳लुब्बत तवारीख ए हिंद :- रायभारमल। 🔳मआसिर ए आलमगीर...

काल को तीन भागों में तीन भागों में विभाजित किया गया है।

    लेखिका उपिन्दर सिंह के अनुसार " भारतीय पाषाण काल को भूवैज्ञानिक युग, औजार के प्रकार तथा तकनीक और जीवन निर्वाह पद्धति में परिवर्तन आधार पर पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल तथा नवपाषाण काल में बांटा गया है। सामान्यत: दो लाख से एक लाख ईसा पूर्व के बीच पुरा पाषाण काल, एक लाख से चालीस हजार ईसा पूर्व के बीच मध्य पाषाण काल और चालीस हजार से दस हजार ईसा पूर्व के बीच नव पाषाण काल का समय माना जाता है  आर्य कंपटीशन के अनुसार –1961 ई० में "कॉकसन और ब्रैडवुड" ने नव पाषाण काल तक के समय को तीन भागों में बांटा है। यथा - 1.पुरा पाषाण काल, 2.मध्य पाषाण काल और 3.नव पाषाण काल में। जिसमें नवपाषाण काल को उन्होंने भोजन उत्पादन का काल कहा है। Note – (A) उपिन्दर सिंह के अनुसार 18-19 वीं शताब्दी में डेनमार्क के विद्वान पी० एफ० सुहम तथा क्रिश्चियन टॉमसन ने पाषाण काल, कास्य युग और लौह युग, नाम से पहली बार काल विभाजन किया। (B) 1863 में फ्रांसीसी विद्वान जान लुबाक अर्थात् लॉर्ड एवेवरी ने पाषाण युग को दो भागों में विभाजित किया –पुरापाषाण काल तथा नवपाषाण काल में। कुछ ही वर्षों बाद एडवर्ड लारटेट ने...

सहायक संधि

 भारतीय इतिहास ✍ सहायक संधि – 🍀 सहायक संधि का जन्मदाता या सहायक संधि का जनक लॉर्ड वेलेजली को कहा जाता है। अपितु लॉर्ड वेलेजली सहायक संधि का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाला व्यक्ति नहीं था। ✍ सहायक संधि का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी “डूप्ले” द्वारा किया गया था। लेकिन इस संधि का व्यापक प्रयोग लॉर्ड वेलेजली द्वारा किया गया इसलिए लॉर्ड वेलेजली को सहायक संधि का जनक कहा जाता है। ✍जिस समय लॉर्ड वेलेजली 1798 में भारत का गवर्नर बना उस समय अंग्रेजी कम्पनी की भारत में स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं थी । 🍀 लॉर्ड वेलेजली ने भारतीय प्रांतों पर नियंत्रण रखने, फ्रांसीसी प्रभाव को कम करने तथा एक शक्तिशाली सेना बनाने हेतु एक योजना तैयार की जिसे आज इतिहास में सहायक संधि के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार की मैत्री संधि थी, जिसका प्रयोग 1798-1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे लॉर्ड वेलेजली ने भारत के देशी राज्यों से संबंध स्थापित करने के लिए किया था। ✍सहायक संधि अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति पर आधारित थी। इस संधि के प्रयोग से भारत में अंग्रेजी सत्ता की श्रेष्ठता स्थापित हो गयी। ✍लॉर्ड वेलेजली इस संधि का आविष...